प्रेरणादायक कहानियां
न्यायाधीश बहुत पाखंडी था | सदा धनवान व्यक्तियों के पक्ष में ही अपना निर्णय देता था | न्यायधीश का नाम सुनते ही झोपड़ी वाला भयभीत हो गया है | ” हे ईश्वर ! नेकी कर के मुझे तो मुसीबत उठानी पड़ रही है |” मन ही मन सोचता हुआ, वह आने वाली मुसीबत की प्रतीक्षा करने लगा
शाम को न्यायाधीश की अदालत से सुबह के लिए बुलावा आ गया | वह सुबह थके कदमों से न्यायधीश की अदालत की ओर चल दिया | रास्ते में वह सोचने लगा, कि अब काजी मुझे जरूर सजा देगा | इसलिए क्यों न उसे मजा चखाया जाए |
ऐसा सोचकर उसने तलवार की धार समान नुकीला कांच का टुकड़ा उठा लिया और अपने अंगोछे के पल्लू में बांध लिया कि अगर न्यायाधीश ने सही निर्णय नहीं किया तो इसका कॉच के टुकड़े से उसकी नाक काट डालूंगा |
यह सोचते हुए पहाड़ी से उतर रहा था, कि वह पहाड़ी से लुढ़क गया | नीचे एक सड़क थी, उस सड़क पर एक तांगे में एक बूढ़े बीमार को वैध के पास ले जाया जा रहा था | वह पहाड़ी से लुढ़क कर सीधा बुड्ढे के पैर पर जा गिरा | उसके गिरते ही उस बुड्ढे के प्राण पखेरु उड़ गए |
बुड्ढे के लड़के भी उसके साथ थे | उन्होंने उस झोपड़ी वाले को पकड़ लिया, और बोले – ” मनहूस क्या तुझे दिखाई नहीं दे रहा था ? हम तो अपने पिता का इलाज करवाने वैद्य के पास ले जा रहे थे, तू यमदूत के समान कहां से आ पड़ा और हमारे पिता के प्राण हर लिए | हम तुझे न्यायाधीश के पास सजा दिलवाएंगे |”
” सत्यानाश न होकर, सवा सत्यानाशी सही | मैं तो न्यायधीश की अदालत में ही जा रहा था |” दिल ही दिल में झोपड़ी वाला बड़बड़ाया और अपने अंगोछे मैं बंदे कांच के टुकड़े को टटोलकर देखने लगा |